रेप की परिभाषा पर इलाहाबाद HC के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बताया अमानवीय
इलाहाबाद HC के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, रोक लगाते हुए कही बड़ी बातें, SC ने फैसले को बताया असंवेदनशील, केंद्र और यूपी सरकार से मांगा जवाब
Supreme Court told the decision of Allahabad HC on the definition of rape : नई दिल्ली। नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म की कोशिश से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को असंवेदनशील करार देते हुए उस पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के फैसले से गलत संदेश जाता है और महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचती है।
जानिए क्या था इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला?

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि “नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट पकड़ना और उसके पायजामे के नाड़े (डोरी) को तोड़ना रेप की कोशिश नहीं माना जा सकता।” कोर्ट ने इसे केवल “महिला की गरिमा पर आघात” का मामला बताया था और आरोपी को राहत दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई रोक?
सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि न्यायपालिका से इस तरह की असंवेदनशीलता की उम्मीद नहीं की जाती। जस्टिस बी.आर. गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा, “हमें यह देखकर दुख हो रहा है कि फैसले को लिखने वालों में संवेदनशीलता की कमी है। इस तरह के मामलों में न्यायपालिका को महिलाओं और नाबालिगों के अधिकारों की रक्षा के प्रति ज्यादा सतर्क रहना चाहिए।”
केंद्र और यूपी सरकार से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मंगलवार को कोर्ट ने इस फैसले का स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की थी।
सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा,”कुछ फैसले इतने विवादास्पद होते हैं कि उन पर तुरंत रोक लगाना जरूरी हो जाता है। फैसले के कुछ अंश पूरी तरह से गलत संदेश दे रहे हैं।”
फैसला देने में हुई देरी पर भी सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि यह फैसला तुरंत नहीं दिया गया, बल्कि सुरक्षित रखने के चार महीने बाद सुनाया गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि पूरी तरह विचार करने के बाद भी यह असंवेदनशील फैसला सुनाया गया।
क्या होगा अब?
सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगाकर सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। अब अगली सुनवाई में यह तय होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होगी।
गौरतलब हो कि इस पूरे मामले ने न्यायिक प्रणाली की संवेदनशीलता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को कठघरे में खड़ा करते हुए इसे गलत बताया और इसे तुरंत प्रभाव से रोका। अब देखने वाली बात होगी कि केंद्र और यूपी सरकार इस मामले में क्या रुख अपनाती हैं और सुप्रीम कोर्ट आगे क्या निर्णय लेता है।