60 दिनों के लिए बंद होंगी इंदिरा गांधी नहर, 26 मार्च से शुरू होंगी नहरबंदी, जल संकट की आशंका

इंदिरा गांधी नहर परियोजना राजस्थान के जैसलमेर , बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, हनुमानगढ़ और श्री गंगानगर जिलों में पेयजल और सही की मुख्य पूर्ति स्रोत है। 60 दिनों की नहरबंदी के कारण इन जिलों में जल संकट गहराने की आशंका है। विशेष कर ग्रामीण इलाकों और किसानों को इस सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पायेगा। जैसे खेती और पशुपालन प्रभावित हो सकता है।

60 दिनों के लिए बंद होंगी इंदिरा गांधी नहर, 26 मार्च से शुरू होंगी नहरबंदी, जल संकट की आशंका

  • रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ :जयपुर : राजस्थान 

पश्चिमी राजस्थान की जीवन रेखा कहीं जाने वाली इंदिरा गांधी नहर परियोजना की वार्षिक नहरबंदी बुधवार को 26 मार्च से शुरू हो रही है। जो 27 तक चलेंगी। इस दौरान पहले 30 दिनों तक पेयजल के लिए 2000 क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा। 27 अप्रैल से 27 मई तक नहर पूरी तरह बंद रहेंगी। यह नहरबंदी पंजाब में मरम्मत और रिजाइनिंग कार्य के लिए की जा रही है। 

कृषि और सिंचाई पर असर, ग्रामीणों की बढ़ेगी परेशानी

इंदिरा गांधी नहर परियोजना राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर जिलों में पेयजल और सिंचाई के मुख्य नहर और वितरिकाओं की रिजाइनिंग के लिए वर्ष 2018 में न्यू डेवलपमेंट बैंक से 3291 करोड़ रुपए बजट स्वीकृत किया गया था। इसके तहत हर साल अप्रैल महीने में नहरबंदी कर मरम्मत और सफाई का काम किया जा रहा है‌। इस बार भी पंजाब सरकार के अनुमति के बाद ही नहरबंदी लागू की गई है।

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पेयजल संकट से निपटने की तैयारी शुरू

नहरबंदी के दौरान, जलदाय और जल संसाधन विभाग ने पेयजल आपूर्ति बना रखने के लिए जल भंडारण शुरू कर दिया है। 26 अप्रैल तक नहर में 2000 क्यूसेक पानी छोड़ा जाएंगा। जिससे लोगों को पीने के पानी की कोई समस्या न हो। हालांकि, सिंचाई पर इसका गहरा असर पड़ेगा।

ऐसे चलेगा नहरबंदी का शेड्यूल

26 मार्च से 26 अप्रैल – पेयजल के लिए 2000 क्यूसेक पानी मिलेगा।

27 अप्रैल से 27 मई – नहर में पानी की आपूर्ति पूरी तरह बंद।

पंजाब में 60 दिन का क्लोजर, जिसमें मरम्मत और सफाई का कार्य होंगा।

नहरबंदी से जल संकट की आशंका

गर्मियों में पहले ही पानी की मांग बढ़ जाती है। ऐसे में 60 दिन की नहरबंदी से जल संकट गहरा सकता है। प्रशासन का प्रयास है कि पेयजल आपूर्ति बनी रहें। लेकिन सिंचाई का किसानों के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है।

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