योगी सरकार के आठ बेमिसाल साल: वनटांगिया समुदाय की बदली तकदीर
उपेक्षा से अधिकार तक का सफर, अब विकास संग बढ़ रहे कदम
रिपोर्ट : दिनेश चंद्र मिश्रा : गोरखपुर। जंगलों में रहने वाले वनटांगिया समुदाय के लिए योगी आदित्यनाथ किसी मसीहा से कम नहीं हैं। आजादी के बाद से समाज की मुख्यधारा से कटे इस समुदाय को न तो सरकारी सुविधाएं मिलती थीं और न ही पहचान। कभी नागरिकता के लिए संघर्ष करने वाले वनटांगिया अब पक्के मकानों में रहते हैं, उनके बच्चे स्मार्ट क्लास में पढ़ते हैं, और वे हर उस सरकारी सुविधा का लाभ उठा रहे हैं, जो किसी भी आम नागरिक को मिलती है। यह बदलाव संभव हुआ है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से, जिन्होंने वनटांगिया समुदाय को उनका हक दिलाने के लिए हर स्तर पर संघर्ष किया।
100 साल की गुमनामी से पहचान तक
योगी सरकार में कैसे बदली तस्वीर?
पक्के मकान: कभी झोपड़ियों में रहने वाले वनटांगिया परिवार अब प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के घरों में रह रहे हैं।
- शिक्षा की रोशनी: जहां पहले बच्चों के लिए स्कूल तक नहीं थे, वहां अब स्मार्ट क्लास वाले स्कूल बनाए गए हैं।
- स्वास्थ्य सुविधाएं: गांवों में आंगनबाड़ी केंद्र और आरओ वाटर प्लांट लगाए गए हैं, जिससे स्वच्छ पेयजल मिल रहा है।
- सड़क और बिजली: गांवों को मुख्य सड़कों से जोड़ा गया है और बिजली पहुंचाई गई है, जिससे विकास की नई किरण आई है।
- रोजगार के अवसर: सरकारी योजनाओं के तहत लोगों को स्वरोजगार और खेती में सहयोग दिया जा रहा है।
वनटांगिया समुदाय के लिए योगी का संघर्ष
योगी आदित्यनाथ का वनटांगिया समुदाय के साथ रिश्ता नया नहीं है। 1998 में सांसद बनने के बाद से ही उन्होंने इनके हक के लिए लड़ाई शुरू कर दी थी। 2009 में जब उनके समर्थकों ने वनटांगिया बच्चों के लिए अस्थायी स्कूल बनाने की कोशिश की, तो वन विभाग ने इसे अवैध बताकर एफआईआर दर्ज कर दी। लेकिन योगी आदित्यनाथ पीछे नहीं हटे और अपने तर्कों से वन विभाग को निरुत्तर कर स्कूल बनवाया।
इसके अलावा, 2003 से गोरखनाथ मंदिर और उनके शिक्षण संस्थानों के माध्यम से वनटांगिया गांवों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का कार्य किया गया। 2009 से योगी आदित्यनाथ खुद जंगल तिकोनिया गांव में दीपावली मनाने लगे, जिससे वनटांगिया समुदाय को सामाजिक पहचान भी मिली।
“अहिल्या थे वनटांगिया, योगी बने राम”
गोरखपुर के वनटांगिया गांव के बुजुर्ग रामगणेश कहते हैं, “हम वनटांगिया लोग अहिल्या की तरह उपेक्षित थे, लेकिन महराज जी (योगी आदित्यनाथ) हमारे लिए भगवान राम बनकर आए और हमें पहचान दिलाई।”
वनटांगिया कौन हैं?
- ब्रिटिश काल में रेलवे स्लीपर के लिए जंगलों में पेड़ लगाने वाले मजदूरों को यहां बसाया गया था।
- ये लोग “टांगिया विधि” से जंगलों में खेती और पेड़ लगाने का काम करते थे, इसलिए इन्हें “वनटांगिया” कहा गया।
- 1947 में देश आजाद हुआ, लेकिन वनटांगिया लोग नागरिकता के लिए संघर्ष करते रहे।**
- 1985 में वन विभाग ने जंगल से बेदखली शुरू की, जिसमें दो वनटांगिया लोगों की मौत भी हुई।
- 2017 में योगी सरकार ने इन्हें राजस्व ग्राम का दर्जा दिया, जिससे ये सभी सरकारी सुविधाओं के पात्र बन गए।
अब विकास संग कदमताल कर रहा है वनटांगिया समुदाय
योगी सरकार के आठ सालों में इन गांवों में जो बदलाव आया है, वह किसी क्रांति से कम नहीं है। आज यहां के लोग शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली और सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। जंगलों में सिमटा इनका संसार अब विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है।