Highcourt decision disputed : लड़की के स्तन पकड़ना, पायजामे का नाड़ा तोड़ना और पुलिया के नीचे खींचना बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता

इलाहाबाद हाईकोर्ट के विवादित फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने से किया इनकार

रिपोर्ट : विजय कुमार पटेल

#Highcourt decision disputed : नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक विवादित फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इनकार कर दिया है। यह मामला एक ऐसे फैसले से जुड़ा है, जिसमें महिला के ब्रेस्ट पकड़ने और पायजामे का नाड़ा तोड़ने जैसी हरकतों को बलात्कार की परिभाषा से बाहर बताया गया था। इस फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने साफ इनकार कर दिया, जिससे यह मामला और भी चर्चाओं में आ गया है।

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क्या कहा था इलाहाबाद हाईकोर्ट ने?

Highcourt Decision Disputes: Girl's breast catching, breaking the pulse of pajamas and pulling under the culvert does not fall under the category of rape
फोटो : सुप्रीम कोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में कहा गया था कि “नाबालिग लड़की के स्तन पकड़ना, पायजामे का नाड़ा तोड़ना और पुलिया के नीचे खींचना बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता।” इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें मांग की गई थी कि इस फैसले के आपत्तिजनक शब्दों को हटाया जाए या उसमें संशोधन किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों किया याचिका खारिज? 

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने की। याचिकाकर्ता के वकील ने जब “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना” का हवाला देते हुए अपनी दलील रखनी चाही, तो जस्टिस बेला त्रिवेदी ने उन्हें बीच में ही रोक दिया। उन्होंने साफ कहा कि, “इस विषय पर कोर्ट में किसी तरह की व्याख्यानबाजी नहीं होनी चाहिए।” इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

फैसले पर मचा बवाल, महिला संगठनों में नाराजगी

इस फैसले के बाद महिला संगठनों और कानूनी विशेषज्ञों ने हाईकोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताई। उनका कहना है कि इस तरह के बयान समाज में गलत संदेश भेज सकते हैं और महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर सकते हैं।

इस फैसले का कानूनी प्रभाव क्या होगा?

विशेषज्ञों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका खारिज करने का मतलब यह नहीं है कि फैसले को पूरी तरह से स्वीकार कर लिया गया है।

  • याचिकाकर्ता चाहें तो रिव्यू पिटीशन दायर कर सकते हैं।  
  • भविष्य में यह मामला संविधान पीठ के समक्ष भी उठ सकता है।  

जनता की राय और सोशल मीडिया पर विरोध

इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।

  • कई लोगों ने इसे महिला सुरक्षा के खिलाफ बताया।  
  • कुछ लोगों ने कहा कि ऐसे फैसले समाज में अपराधियों का मनोबल बढ़ा सकते हैं।  
  • सोशल मीडिया पर #JusticeForWomen और #HighCourtDecision विवादित हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।  

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