जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर पर इलाहाबाद बार एसोसिएशन नाराज
एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने इस फैसले पर नाराजगी व्यक्त की
रिपोर्ट: विजय कुमार पटेल : प्रयागराज। दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर को लेकर इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने कड़ी आपत्ति जताई है। एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने इस फैसले पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई कूड़ेदान नहीं है, जहां भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे न्यायाधीशों को भेजा जाए।
ट्रांसफर का कारण

सूत्रों के मुताबिक, जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की घटना के बाद भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी, जिससे हड़कंप मच गया। इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर करने की सिफारिश की।
बार एसोसिएशन की प्रतिक्रिया
इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने इस ट्रांसफर का विरोध करते हुए कहा कि यह निर्णय हाईकोर्ट की गरिमा के खिलाफ है। एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा, “इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई कूड़ेदान नहीं है, जहां भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे न्यायाधीशों को भेजा जाए।” उन्होंने यह भी मांग की कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, जस्टिस वर्मा को न्यायिक कार्य से अलग रखा जाए।
आगे की कार्रवाई
बार एसोसिएशन ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए 24 मार्च को जनरल हाउस की बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा।
विरोधाभासी सूचनाएं आ रहीं हैं सामने
जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर आग लगने के बाद नकदी बरामदगी के मामले में विरोधाभासी सूचनाएँ सामने आई हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि आग बुझाने के दौरान उनके घर से बड़ी मात्रा में नकदी मिली थी।
हालांकि, दिल्ली अग्निशमन सेवा के प्रमुख अतुल गर्ग ने इन दावों का खंडन करते हुए कहा कि आग बुझाते समय उनकी टीम को कोई नकदी नहीं मिली। इस विरोधाभास के बीच, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा के इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरण को इस घटना से अलग बताते हुए कहा कि यह एक स्वतंत्र निर्णय है। वर्तमान में, नकदी बरामदगी की सटीक राशि के बारे में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है।