बच्चों के भोजन में अब 10% कम तेल होंगा इस्तेमाल, केंद्र सरकार ने इस वज़ह से लिया यह फैसला

मौजूदा समय में प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत स्कूली बच्चों को दिए जाने वाले भोजन में प्रति बच्चा प्राइमरी स्तर पर 5 ग्राम और अपर प्राइमरी स्तर पर साढ़े सात ग्राम खाने के तेल के इस्तेमाल का तय मानक है। ऐसी योजना के तहत देश के 11.20 लाख स्कूलों के 11.80 करोड़ बच्चों को हर दिन दोपहर का ताज़ा भोजन मुहैया कराया जाता है।

बच्चों के भोजन में अब 10% कम तेल का होंगा इस्तेमाल, केंद्र सरकार ने इस वज़ह से लिया यह फैसला 

  • रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : नई दिल्ली ।

मोटापे से निपटने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्र का असर अब जल्द ही स्कूली प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत मिलने वाले दोपहर के भोजन सहित स्कूलों की कैंटीन व छात्रावासों में दिखेगा। जहां बच्चों के भोजन में पहले की तुलना में 10% कम खाने के तेल का इस्तेमाल होंगा।

मौजूदा समय में प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत स्कूली बच्चों को दिए जाने वाले भोजन में प्रति बच्चा प्राइमरी स्तर पर 5 ग्राम और अपर प्राइमरी स्तर पर साढ़े सात ग्राम खाने के तेल का तय मानक है।

किसी योजना के तहत देश के 11.20 लाख स्कूलों के 11.80 करोड़ बच्चों को हर दिन दोपहर का ताजा भोजन मुहैया कराया जाता है।

प्रधानमंत्री ने मोटापे पर जताई थी चिंता 

प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में बढ़ते मोटापे को लेकर गहरी चिंता जताई थी और उन्होंने सुझाव दिया था कि हम खाने में दिन प्रतिदिन तेल के इस्तेमाल में 10% की कमी करके बच सकते हैं।

प्रधानमंत्री के इस सुझाव के बाद शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों को ऐसे निपटने को लेकर एक विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जिसमें तेल के कम इस्तेमाल को लेकर जागरूकता अभियान चलाने, अभिभावकों के साथ बैठक करने, स्कूलों में इसे लेकर स्वस्थ खाने की प्रतिस्पर्धा आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं।

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शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा सचिव संजय कुमार ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव व सचिव के साथ केंद्रीय विद्यालय व नवोदय विद्यालयों के आयुक्त को लिखें पत्र में स्कूलों में तेल की मात्रा को घटाने को लेकर तुरंत जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने पत्र में स्वास्थ्य को लेकर जारी लैंसेट का भी हवाला दिया है। जिसमें 2022 में देश में 5 से 19 वर्ष की आयु वर्ग के 12.5 मिलियन बच्चे मोटापे की समस्या से ग्रसित पाए गए हैं। जबकि 1990 में उनकी संख्या सिर्फ 0.4 मिलियन ही थी।

स्कूल में तैनात रसोईया को भोजन तैयार करने वाले के लिए प्रशिक्षण दिलाया जाए।

स्कूलों में बच्चों के बीच से ही स्वास्थ्य दूत तैनात किए जाएं।

स्कूलों में गृह विज्ञान कॉलेजों की मदद से कम तेल वाले भोजन बनाने, कुकिंग कक्षाएं आयोजित करने जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।

बच्चों को योग व व्यायाम जैसी गतिविधियां से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाएं।

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