बहराइच में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, 120 क्लस्टरों का होगा गठन

27 ग्रामों में चल रहा है जागरूकता अभियान, कृषि सखियों की मदद से किसानों को दी जा रही है जानकारी

रिपोर्ट : अभिषेक शुक्ला : बहराइच। किसानों की आय बढ़ाने, पर्यावरण को सुरक्षित रखने और मानव स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उद्देश्य से बहराइच जिले में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिलाधिकारी मोनिका रानी की पहल पर राज्य सरकार और कृषि निदेशालय के सहयोग से जिले में 50-50 हेक्टेयर के 120 प्राकृतिक खेती क्लस्टर बनाए जाएंगे। इसके साथ ही 27 गांवों में जागरूकता कार्यक्रम शुरू हो चुके हैं, जिनमें किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभों की जानकारी दी जा रही है।

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Bahraich promotes natural farming, 120 clusters will be formed

उप निदेशक कृषि शिशिर कुमार वर्मा ने बताया कि जिले को राष्ट्रीय मिशन फॉर नेचुरल फार्मिंग योजना के तहत 2025-26 और 2026-27 के लिए 120 प्राकृतिक खेती क्लस्टरों के गठन का लक्ष्य दिया गया है। इस योजना के तहत 22 से 30 अप्रैल तक जिले के चयनित गांवों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

इस अभियान में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत प्रशिक्षित कृषि सखियाँ प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। पिछले वर्ष इन सखियों को कृषि विज्ञान केंद्र, नानपारा एवं बहराइच में प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया गया था। अब ये महिलाएं अपने-अपने क्लस्टर के किसानों को प्राकृतिक खेती की विधियों और उसके फायदों के बारे में जानकारी दे रही हैं।

कृषि विभाग द्वारा आयोजित ग्राम स्तरीय जागरूकता कार्यक्रम

प्राकृतिक खेती जागरूकता अभियान के तहत बलहा ब्लॉक के सरैया, फखरपुर के रौंदोपुर और अमवातेतारपुर, कैसरगंज के ऐनीहतिन्सी, तेजवापुर के चन्दनापुरसिकड़िया, मिहींपुरवा के चोरवा, हुज़ूरपुर के सिंहपुर, विशेश्वरगंज के गोविन्दापुरपण्डित, ललितनगर और जलालपुर, जरवल के तप्पेसिपाह आदि गांवों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।

इन कार्यक्रमों में किसानों को बताया गया कि कैसे रासायनिक खादों और कीटनाशकों के बिना भी फसल उगाई जा सकती है। साथ ही प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग, जैव विविधता को बढ़ावा देने और मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने की भी जानकारी दी गई।

प्राकृतिक खेती क्यों है ज़रूरी?

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उप निदेशक श्री वर्मा ने बताया कि लगातार रासायनिक खेती से न केवल मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही है, बल्कि खाद्यान्नों में पोषण की कमी और स्वास्थ्य पर बुरा असर भी देखा जा रहा है। खेती की लागत बढ़ रही है और किसानों की आमदनी कम होती जा रही है। ऐसे में प्राकृतिक खेती एक बेहतर और स्थायी विकल्प बनकर सामने आई है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार मिलकर किसानों को रासायनिक मुक्त खेती, स्थानीय संसाधनों के उपयोग, और पारंपरिक तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है। इससे न केवल किसानों की लागत कम होगी बल्कि पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य भी सुरक्षित रहेगा।

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