भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा, इसी हफ्ते संभव, कई मुद्दों पर जारी है बातचीत

भाजपा सूत्रों ने बताया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए जरूरी उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष तय करने के लिए पार्टी स्तर पर सहमति बनी है।

भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा , इसी हफ्ते संभव , कई मुद्दों पर जारी है बातचीत 

  • रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : उत्तर प्रदेश ।

भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होंगा?

इस पर इसी हफ़्ते सहमति बन सकती है। दरअसल, संघ प्रमुख मोहन भागवत के दिल्ली प्रवास और संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों का राजधानी में जमावड़े के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म है।

माना जा रहा है कि 2 दिन बाद सऊदी अरब की यात्रा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लौटने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए जरुरी उत्तर प्रदेश समेत कई अहम राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के नाम पर संघ और भाजपा में सहमति बन जाएंगी।

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गौरतलब है कि वर्तमान में संघ प्रमुख भागवत, सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबाले समेत संघ के सभी वरिष्ठ पदाधिकारी दिल्ली में हैं।

भाजपा सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए जरूरी उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष तय करने के लिए पार्टी स्तर पर सहमति बनी हैं। इस मामले में संघ से अंतिम बातचीत होनी है।

इसके अलावा संघ चाहता है कि न सिर्फ राष्ट्रीय अध्यक्ष 60 साल से कम उम्र का हो, बल्कि पार्टी की सर्वाधिक ताकतवर इकाई संसदीय बोर्ड में वरिष्ठतम सदस्यों को जगह मिलें।

दरअसल, संघ और भाजपा के बीच महज राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर बातचीत नहीं हो रही है। बातचीत के एजेंडे में भविष्य में केंद्रीय मंत्रिमंडल में होने वाला फेरबदल, पार्टीशसित राज्यों में शीर्ष स्तर पर फेरबदल, प्रदेशों और केंद्रीय संगठन में बदलाव जैसे विषय है।

संघ सूत्रों का कहना है कि भाजपा कई स्तर पर बदलाव पर सहमति बना रही है। इसलिए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन में देरी हो रही हैं।

राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्य में संगठन चुनाव जरूरी है। पार्टी के सामने मुश्किल यह है कि मध्य प्रदेश को छोड़कर इन राज्यों में जो भी अध्यक्ष बनेगा, उसी के नेतृत्व विधानसभा चुनाव लड़ना होंगा।

ऐसे में इन राज्यों में जातिगत समीकरण तक्ष करना है अहम है।

मसलन गुजरात में पार्टी को आदिवासी मतदाताओं की चिंता है, तो उत्तर प्रदेश में पिछड़ी जाति के मतदाताओं की।

इसके अलावा, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश में पार्टी सत्ता में है। ऐसे में बतौर अध्यक्ष उसे ऐसे चेहरे की तलाश है, जो सत्ता और सरकार में न सिर्फ संतुलन बैठा सकें, बल्कि ओबीसी, आदिवासी वोट बैंक को भी साध सकें।

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