चंद्रयान-5 मिशन से चांद पर रोबोट भेजेगा भारत, जापान भी करेगा सहयोग, ISRO चीफ ने किया खुलासा

नारायण ने बताया कि चांद पर इंसानों को भेजने की भविष्य की परियोजना के लिए छोटे मानव रहित रॉकेट बनाए जाएंगे और उनमें रोबोट को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत और जापान मिलकर चंद्रयान 5 मिशन के लिए काम करेंगे। इसकी अनुमति भी मिल गई है। इस परियोजना के जरिए बिना इंसान की तरह दिखने वाले रोबोट को चांद पर भेजा जाएगा।

चंद्रयान-5 मिशन से चांद पर रोबोट भेजेगा भारत, जापान भी करेगा सहयोग, ISRO चीफ ने किया खुलासा

TV 9 भारत समाचार: मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ ), कन्याकुमारी (तमिलनाडु )

तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के नागरकोइल में डॉक्टर जयशेखर की जन्म शताब्दी मनाई गई। इस समारोह में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष वी. नारायण शामिल हुए।

इस अवसर पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, इस साल 16 जनवरी को हमने दो सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे थे। उन्हें एक साथ डॉक किया गया है। और फिर सफलतापूर्वक अलग किया गया।

भारत ऐसा सफल प्रयोग करने वाला चौथा देश हैं।

इसरो प्रमुख ने कहा कि 9,800 किलो ग्राम का चंद्रयान- 4  उपग्रह जल्द ही लॉन्च किया जाएगा। इसे दो रॉकेट के जरिया चांद पर भेजने, लैंड कराने, वहां के खनिजों को इकट्ठा करने और धरती पर वापस लाने की तैयारी चल रही है।

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चांद पर रोबोट भेजने का परीक्षण

नारायण ने बताया कि चांद पर इंसानों को भेजने की भविष्य की परियोजना के लिए छोटे मानव रहित रॉकेट बनाए जाएंगे और उनमें रोबोट को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएंगा। उन्होंने कहा कि भारत और जापान मिलकर चंद्रयान 5 मिशन के लिए काम करेंगे। इसकी अनुमति भी मिल गई है। इस परियोजना के जरिए बिना इंसान की तरह दिखने वाले रोबोट को चांद पर भेजा जाएंगा।

उन्होंने कहा कि भारत का पहला अंतरिक्ष यान 1979 में डॉक्टर अब्दुल कलाम के नेतृत्व में लॉन्च किया गया था। इस साल जनवरी में हमने 100 वां अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। इसरो प्रमुख ने कहा कि महेंद्र गिरी में अत्याधुनिक उत्पादन पर अध्ययन किया जा रहा है। इसके जरिए  “नास्ल प्रोटेक्टिव सिस्टम” ने सफलता हासिल की है। अंतरिक्ष में व्याप्त जलवायु और परिवर्तनों का अध्ययन करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक में बड़ी सफलता मिली है।

उन्होंने कहा कि मार्स ऑर्बिट मिशन के जरिए मंगल ग्रह पर भेजे गए अंतरिक्ष यान ने 680 मिलियन किलोमीटर की यात्रा की और ‌ 294 दिनों के बाद इसमें लगे उपकरण काम करना शुरू कर दिए। इसके सफलतापूर्वक काम करने के बाद भारत को इस प्रयोग में सफल होने वाले दुनिया के पहले देश होने का गौरव प्राप्त हुआ है। यह उपलब्धि किसी अन्य देश को नहीं मिली है।

अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स की वापसी पर इसरो चीफ नारायण ने कहा कि सुनीता विलियम्स को कोई नुकसान नहीं होंगा। वह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष से धरती पर वापस आएंगी।

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