लखीमपुर खीरी की बेटी दीक्षा बनी मिसाल: छोटे से गांव से उठाई ऊंची उड़ान

परिषदीय स्कूल में पढ़ने वाली दीक्षा तिवारी ने दिखाया कि सपने बड़े हों तो हालात कभी आड़े नहीं आते

रिपोर्ट : आयुष पाण्डेय : लखीमपुर खीरी। उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव इकबालपुर की बेटी दीक्षा तिवारी आज पूरे जिले ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणा बन गई हैं। कक्षा 5 में पढ़ने वाली यह होनहार छात्रा अपनी मेहनत, लगन और बुलंद हौसलों से यह साबित कर रही है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो किसी भी मंज़िल तक पहुंचा जा सकता है। साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली दीक्षा की कहानी लाखों बेटियों के लिए एक रौशनी की किरण है।

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पिता से सीखी कला, अब देश के लिए पदक जीतने का सपना

Diksha became an example of Lakhimpur Kheri's daughter: High flight raised from a small village

दीक्षा तिवारी को एयरोबैटिक जिमनास्टिक और योग में गहरी रुचि है। इस कला की शुरुआत उन्होंने घर से ही की, जहां उनके पहले कोच बने उनके अपने पिता। पिता-पुत्री की इस जोड़ी ने सुबह-शाम कठिन अभ्यास किया, बिना किसी बड़े संसाधन के, लेकिन पूरे जुनून के साथ।

दीक्षा बताती हैं, “मेरे पापा मेरे सबसे बड़े सपोर्टर हैं। वे मुझे रोज़ अभ्यास कराते हैं और सिखाते हैं कि हार मानना कभी विकल्प नहीं होता।”

उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मिशन शक्ति योजना और जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल मैम से मिली प्रेरणा का भी ज़िक्र किया और कहा कि इन प्रयासों ने उन्हें आगे बढ़ने का हौसला दिया।

छोटी उम्र, लेकिन सपने बहुत बड़े हैं

महज 11 साल की उम्र में दीक्षा का सपना है कि वह भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर मेडल जीतें और अपने गांव, ज़िले और प्रदेश का नाम ऊंचा करें।

वह कहती हैं, “मैं रोज़ प्रैक्टिस करती हूं। कभी-कभी थक जाती हूं, लेकिन फिर सोचती हूं कि अगर मुझे तिरंगे को ऊपर देखना है, तो रुकना नहीं है।”

उनकी बातों से साफ है कि दीक्षा की सोच उम्र से कहीं आगे की है। वह जानती हैं कि सफलता की सीढ़ी मेहनत से ही चढ़ी जाती है।

मिशन शक्ति योजना की चमकती मिसाल

दीक्षा न सिर्फ खुद आगे बढ़ रही हैं, बल्कि वह उन सरकारी योजनाओं की जीवंत मिसाल बन चुकी हैं जो बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए चलाई जा रही हैं। *मिशन शक्ति* योजना का असर दीक्षा की कहानी में साफ झलकता है—जहां आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान की एक नई तस्वीर सामने आई है।

डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने भी दीक्षा की सराहना करते हुए उनकी कहानी को आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर साझा किया ताकि और भी बच्चे प्रेरणा ले सकें।

गौरतलब हो कि इकबालपुर जैसे छोटे से गांव की बेटी दीक्षा तिवारी यह साबित कर रही है कि सपने गांवों में भी पनपते हैं, और जब उन्हें सही दिशा और समर्थन मिलता है, तो वे पूरी दुनिया में उड़ान भर सकते हैं। आज दीक्षा सिर्फ एक बच्ची नहीं, बल्कि एक उम्मीद बन चुकी है—बेटियों के उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद।

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