उत्तर प्रदेश में बढ़ी वन्यजीवों की संख्या, सरकार की संरक्षण नीति लाई रंग, बाघों की संख्या हुई 205
पिछले आठ वर्षों में पौधारोपण और प्राकृतिक वास की बहाली से बाघ, सारस, हाथी समेत कई प्रजातियों की संख्या में वृद्धि
रिपोर्ट : विजय कुमार पटेल
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में वन्यजीवों की घटती संख्या को लेकर पहले जहां चिंता जताई जाती थी, वहीं अब तस्वीर बदल रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार की मजबूत संरक्षण नीतियों और पर्यावरण हितैषी अभियानों का असर साफ नजर आ रहा है। अब बाघ, सारस, हाथी जैसे वन्य प्राणी न सिर्फ संरक्षित हैं बल्कि उनकी संख्या में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो रही है।
प्रदेश में अब तक 204.65 करोड़ पौधे लगाए गए, जिससे 91 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में हरियाली बढ़ी है। इसका सीधा असर वन्य प्राणियों के रहन-सहन पर पड़ा है।
बाघों की संख्या में 18% की बढ़ोत्तरी
उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय पशु बाघों की संख्या पहले जहां 173 थी, अब यह बढ़कर 205 हो गई है। यह सरकार की ओर से किए गए प्राकृतिक वास की बहाली, भोजन की उपलब्धता और सुरक्षा उपायों का परिणाम है।
राज्य पक्षी सारस को मिला भरपूर प्यार
प्रदेश में राज्य पक्षी सारस की संख्या भी पिछले आठ वर्षों में 17,586 से बढ़कर 19,616 हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में सारस को लेकर विशेष लगाव है और उनके वास में किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जाती।
हाथियों के लिए बना सुरक्षित वातावरण
जहां पहले प्रदेश में हाथियों की संख्या 265 थी, अब यह बढ़कर 352 हो गई है। हाथियों के प्राकृतिक वास की सुरक्षा और संरक्षण के प्रयासों से यह संभव हुआ है।
27 वन्यजीव विहार और पक्षी विहार का संरक्षण
प्रदेश सरकार वर्तमान में 27 संरक्षित वन्यजीव विहारों और पक्षी विहारों को विकसित कर रही है। यहां वन्य प्राणियों को प्राकृतिक वातावरण में रहन-सहन का मौका मिल रहा है, जिससे उनकी संख्या में वृद्धि हो रही है।
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गिद्ध संरक्षण की नई पहल
गोरखपुर के कैम्पियरगंज रेंज में स्थापित रेडहेडेड गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र से गिद्धों की घटती संख्या को रोकने में सफलता मिली है।
वेटलैंड और रामसर साइट्स में बढ़ोत्तरी
उत्तर प्रदेश अब देश में सबसे ज्यादा 10 रामसर साइट्स वाला राज्य बन चुका है। इन वेटलैंड्स में पक्षी और जलीय जीवों को अनुकूल वातावरण मिलता है, जिससे जैव विविधता और मजबूत होती है।
सरकार के वृक्षारोपण, वास बहाली, जल निकायों के संरक्षण, और तकनीकी नवाचारों ने प्रदेश के वन्यजीवों को एक नई जिंदगी दी है। अब जरूरत है कि आम नागरिक भी इनके संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाएं।