लखीमपुर: वन्यजीव तस्करी गिरोह का पर्दाफाश, STPF को बड़ी सफलता – मगर आरोपी भागा हिरासत से!

STPF और वन विभाग की साझा कार्रवाई में भारी बरामदगी, लेकिन विभाग की लापरवाही से भागा एक तस्कर

रिपोर्ट : आयुष पाण्डेय : लखीमपुर खीरी। उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स फॉर फॉरेस्ट प्रोटेक्शन (UPSTPF) को बीती रात लखीमपुर खीरी में बड़ी सफलता हाथ लगी। वन विभाग की टीम के साथ मिलकर की गई छापेमारी में अंतर्राज्यीय वन्यजीव अंग तस्करी गिरोह का पर्दाफाश हुआ। इस दौरान दो तस्करों – प्रकाश चौधरी और भागीराम – को गिरफ्तार किया गया, जिनके पास से बाघ के दांत, नाखून और जबड़ा बरामद किए गए। लेकिन इस बड़ी कामयाबी के बीच एक बेहद चौंकाने वाली चूक भी सामने आई – आरोपी भागीराम वन विभाग की हिरासत से फरार हो गया।

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STPF ने पकड़ा तस्करी गिरोह का मास्टरमाइंड

Lakhimpur: Wildlife smuggling gang exposed, STPF is a big success - but accused ran away from custody
फोटो : तस्करों से बरामद बाघ के दांत व अन्य अवयव

UPSTPF को खुफिया जानकारी मिली थी कि लखीमपुर के कुछ इलाकों में बाघ के अंगों की तस्करी का नेटवर्क चल रहा है। इसी सूचना के आधार पर शुक्रवार रात STPF और वन विभाग की संयुक्त टीम ने छापा मारा।

गिरफ्तारी के दौरान तस्करों के पास से जो चीजें बरामद की गईं, वो बेहद चौंकाने वाली हैं:

  • 17 बाघ के दांत
  • 18 बाघ के नाखून  
  • 1 बाघ का जबड़ा

बरामद सामान की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करोड़ों में आंकी जा रही है।

वन विभाग की बड़ी चूक: आरोपी ‘भागीराम’ फरार

जहां एक ओर STPF ने सफल गिरफ्तारी और बरामदगी कर वाहवाही बटोरी, वहीं वन विभाग की लापरवाही ने सारा मामला बिगाड़ दिया।

सूत्रों के मुताबिक, जब भागीराम को पूछताछ के लिए वन विभाग के संरक्षण में रखा गया था, तभी वह वहां से चुपचाप चकमा देकर भाग निकला।

अब STPF उसकी तलाश में फिर से सर्च ऑपरेशन चला रही है। इस घटना ने न केवल जांच को मुश्किल में डाला है, बल्कि वन विभाग की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

Lakhimpur: Wildlife smuggling gang exposed, STPF is a big success - but accused ran away from custody
तस्करों का नेटवर्क और भी बड़ा हो सकता है

STPF और अन्य जांच एजेंसियों को शक है कि यह गिरोह केवल यूपी ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी सक्रिय है।  भागीराम की गिरफ्तारी से आगे की कड़ियाँ जुड़ सकती थीं, लेकिन अब उसके फरार होने से जांच में देरी हो सकती है।

अधिकारियों की चुप्पी, जनता में सवाल

वन विभाग इस मामले में अब तक चुप है। कोई अधिकारी इस चूक पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। वहीं सोशल मीडिया और आम जनता में इस मामले को लेकर नाराज़गी देखी जा रही है।

STPF की यह कार्रवाई वन्यजीव अपराधों के खिलाफ एक बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है। लेकिन आरोपी के फरार होने ने यह भी दिखा दिया है कि सिस्टम में अभी कई खामियाँ हैं जिन्हें दुरुस्त करना जरूरी है।

अब देखना होगा कि वन विभाग की ये चूक क्या जिम्मेदारों तक पहुँचेगी या फिर यह मामला भी दूसरी खबरों के बीच गुम हो जाएगा।

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