
पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में बहराइच व्यापारियों का राष्ट्रपति को ज्ञापन: आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से आक्रोशित होकर उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा, आतंकवाद के खिलाफ कड़ी नीति की मांग
बहराइच। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले को लेकर पूरे देश में आक्रोश है। बहराइच के व्यापारियों ने भी इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भेजा है। व्यापारियों का कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ अब और सख्त कदम उठाने का वक्त आ गया है। ये ज्ञापन जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के माध्यम से राष्ट्रपति तक पहुंचाया गया।
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उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल की जिला और नगर इकाई ने बृहस्पतिवार को बहराइच के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) मुकेश चन्द्र (आईएएस) को एक ज्ञापन सौंपा, जिसे भारत की राष्ट्रपति को संबोधित किया गया था। इसमें जम्मू-कश्मीर की पवित्र वादी पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई है।

व्यापार मंडल के वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष मनीष मल्होत्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि, “यह हमला सिर्फ एक घटना नहीं है, बल्कि देश की अखंडता, संप्रभुता और आम नागरिकों की सुरक्षा पर सीधा प्रहार है। हमलावरों को कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए और सुरक्षा नीति को और मज़बूत किया जाना चाहिए।”
ज्ञापन में यह मांग की गई है कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर आतंकियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करें। सुरक्षाबलों को आधुनिक हथियारों और संसाधनों से लैस किया जाए ताकि वे हर चुनौती का सामना कर सकें। साथ ही आतंकवाद के समर्थकों और मददगारों को भारत के अंदर और बाहर चिन्हित कर कानूनी कार्रवाई की जाए।
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि इस हमले में शहीद हुए जवानों और नागरिकों के परिजनों को पूरा सम्मान, आर्थिक सहायता और हरसंभव मदद दी जाए। घायलों के इलाज की समुचित व्यवस्था भी तत्काल होनी चाहिए।
जिला महामंत्री बृजमोहन मातनहेलिया ने कहा, “हमारा संगठन राष्ट्रहित में हमेशा खड़ा रहा है और रहेगा। आतंकवाद किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।”

गौर तलब हो कि बहराइच के व्यापारियों ने पहलगाम हमले के विरोध में जिस एकजुटता से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा, वह इस बात का संकेत है कि देश का हर वर्ग अब आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम चाहता है। व्यापारी वर्ग ने न सिर्फ सुरक्षा नीति को मजबूत करने की मांग की, बल्कि शहीदों के सम्मान और उनके परिजनों के लिए समर्थन की भी आवाज़ बुलंद की है। यह केवल विरोध नहीं, बल्कि राष्ट्र की रक्षा के लिए एक ज़िम्मेदारीपूर्ण पहल है।
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