मोबाइल फ़ोन चोरी होते ही खटाखट होने लगा यह काम, बैंक जाते ही खुली पोल, पुलिस के ताबड़तोड़ एक्शन से फूले हाथ-पैर।
एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया है कि दिल्ली पुलिस में कथित तौर पर मोबाइल फ़ोन चोरी करने और अवैध तरीके से लगभग 1.4 लाख रुपए का लेन-देन करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ़्तार किया है। डीसीपी सचिन शर्मा ने कहा है कि पिछले साल 23 नवंबर को मुंडका निवासी ने अपने मोबाइल फ़ोन की चोरी की शिकायत दर्ज़ कराई थी। चोरी के तुरंत बाद उसके खाते में 1.4 लाख की यूपीआई लेन-देन की गई थी। इससे पीड़ित के होश उड़ गए थे।
मुकेश कुमार (क्राइम एडिटर इन चीफ)TV 9 भारत समाचार नई दिल्ली।
नई दिल्ली, तकनीक के विकास का लाभ आम लोग भी उठा रहे हैं। अधिकांश सुविधाएं बस एक क्लिक दूर है। फिर चाहे अच्छा खाना हो या फिर कपड़े, जूते, एसी, फ्रीज, टीवी, या फिर बिना कैश निकालें और बैंक गए भुगतान करने की सुविधा हो। सब कुछ ऑनलाइन उपलब्ध है। लेकिन, इसके साथ ही कई गंभीर परेशानियों का सामना भी लोगों को करना पड़ रहा है। ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले गिरोह इतने सक्रिय हो चुके हैं कि पलक-झपकते ही लोगों के बैंक अकाउंट खाली हो जा रहे हैं। इसमें मोबाइल फ़ोन की भूमिका काफ़ी अहम हो गई है। दिल्ली में फ्रॉड का ऐसा ही एक मामला सामने आया हैं।
एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया है कि दिल्ली पुलिस ने कथित तौर पर मोबाइल फ़ोन चोरी करने और अवैध तरीके से लगभग 1.4 लाख रुपए का लेन-देन करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ़्तार किया है।
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डीसीपी सचिन शर्मा ने कहा है कि पिछले साल 23 नवंबर को मुंडका निवासी ने अपने मोबाइल फ़ोन की चोरी की शिकायत दर्ज़ कराई थी। चोरी के तुरंत बाद उसके तुरंत खाते से 1.4 लाख की यूपीआई लेन-देन की गई थी। इससे पीड़ित के होश उड़ गए थे।
शिकायत मिलने के बाद दिल्ली पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू कर दी। अधिकारियों ने बताया है कि साइबर पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिक की दर्ज़ की गई है। अधिकारी ने बताया है कि 20 जनवरी को टीम ने अवैध ट्रांजेक्शन से जुड़े बैंक अकाउंट के जरिए लाभार्थियों की पहचान कर ली। इसके बाद पुलिस ने कार्यवाही और तेज़ कर दी है। बैंक अकाउंट बेनिफिशियरी का पता चलते ही पुलिस ने मनीष (21 वर्ष) और निशांत (20 वर्ष) नाम के दो संदिग्धों को गिरफ़्तार कर लिया।
इनसे पूछताछ करने पर पता चला है कि दोनों किसी अन्य व्यक्ति के इशारे पर काम करते थे। इसके लिए इन्हें बाकायदा हिस्सा दिया जाता था। पुलिस अधिकारी ने बताया है कि आरोपी ने चोरी किए गए मोबाइल फ़ोन इस शख्स को सौंपे थे, इसके बाद यूपीआई के जरिए ट्रांजेक्शन किया गया था।
मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल कर यूपीआई के जरिए ट्रांजेक्शन करने के मामले में दिल्ली पुलिस को अब मास्टरमाइंड की तलाश है। मनीष और निशांत एक तरह से हैंडलर के तौर पर काम करते थे।
पुलिस इस बात का पता लगाने में जुटी है कि इन सब के पीछे कौन है? इस पूरे रैकेट को ऑपरेट करने वाला सरगना कौन है? इसकी जड़े कहां तक फैली है? आपको बता दें कि देश में तमाम तरह के जागरूकता अभियान चलाने के बावजूद लोग साइबर फ्रॉड के शिकार हो रहे हैं।
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