मायागंज अस्पताल में लापरवाही: डॉक्टर नहीं मिला तो परिजन ने खुद लगाया ऑक्सीजन मास्क

भागलपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में घायल युवक तड़पता रहा, परिजन खुद ही करते रहे इलाज की कोशिश

रिपोर्ट : अजय कुमार : भागलपुर। पूर्वी बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मायागंज मेडिकल कॉलेज में एक बार फिर से लापरवाही का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। बांका जिले के एक युवक को सड़क हादसे में गंभीर चोटें आईं, पर जब उसे अस्पताल लाया गया तो घंटों तक डॉक्टर नजर नहीं आए। आखिरकार परिजनों ने खुद ऑक्सीजन मास्क लगाकर उसकी जान बचाने की कोशिश की। यह दृश्य न सिर्फ दिल दहलाने वाला था, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की पोल खोलने वाला भी।

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Negligence in Mayaganj Hospital: If the doctor is not found, the family himself applied oxygen mask
फोटो : मास्क लगाते परिजन

बांका जिले के धोरैया थाना क्षेत्र निवासी सुल्तान अंसारी हाल ही में एक सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गए। उन्हें आनन-फानन में भागलपुर के मायागंज अस्पताल लाया गया, जो इस क्षेत्र का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। लेकिन अस्पताल पहुंचने के बाद जो नज़ारा दिखा, उसने परिजनों को हिलाकर रख दिया।

घायल सुल्तान की हालत बिगड़ रही थी, लेकिन वहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। करीब एक घंटे तक इंतजार के बाद भी जब कोई डॉक्टर नहीं आया, तो मजबूर परिजनों ने ही उसे ऑक्सीजन मास्क लगाया। इस बीच मरीज की सांसें उखड़ती रहीं, और लोग अपने मोबाइल से वीडियो बनाते रहे।

लोगों का गुस्सा फूटा, अस्पताल पर उठे सवाल

मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि हादसे के तुरंत बाद सुल्तान को अस्पताल लाया गया था, ताकि समय पर इलाज हो सके। लेकिन डॉक्टरों की गैरहाज़िरी ने सबको परेशान कर दिया। कई लोगों ने अस्पताल प्रशासन को फोन भी किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

स्थानीय लोगों और मरीज के परिजनों का कहना है कि ऐसी लापरवाही आम बात हो गई है। कभी डॉक्टर समय पर नहीं मिलते, तो कभी दवाएं उपलब्ध नहीं होतीं। ऐसे में सवाल ये है कि आम आदमी आखिर जाए तो कहां?

सरकार के दावे बनाम जमीनी हकीकत

Negligence in Mayaganj Hospital: If the doctor is not found, the family himself applied oxygen mask
सरकार आए दिन हेल्थ सेक्टर में सुधार और संसाधनों के विकास की बात करती है। नई मशीनें, डॉक्टरों की तैनाती और आपातकालीन सेवाओं की बात होती है, लेकिन जब असल में किसी की जान पर बन आती है, तो पूरी व्यवस्था बेबस नजर आती है।

यह घटना मायागंज अस्पताल के प्रशासन पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। अब देखना यह है कि स्वास्थ्य विभाग इस लापरवाही पर क्या कदम उठाता है, या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।

गौरतलब हो कि मायागंज जैसे बड़े अस्पताल में इस तरह की लापरवाही आम लोगों की जान से खिलवाड़ है। अगर डॉक्टर वक्त पर होते, तो शायद मरीज की हालत इतनी बिगड़ती ही नहीं। ज़रूरत इस बात की है कि सरकार और प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले और स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत को सुधारने की ठोस पहल करे।

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