प्रभु श्रीराम की गर्मी से बदल गई पोशाक और श्रृंगार, भोज में हुआ बदलाव, नया रूप देख श्रद्धालु हो रहें भाव – विभोर
राम मंदिर के पुजारी और संघर्ष समिति के मुताबिक यह बदलाव विश्व युद्ध वैदिक परंपरा के अनुरूप है। इसमें प्रभु श्री राम की सेवा प्रकृति और ऋतु के अनुरूप की जाती है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से यह सुनिश्चित किया गया है कि गर्मी में प्रभु श्री राम को पूर्ण शीतलता मिले। इसके लिए विशेष खादी और रेशम के वस्त्रों का चयन किया गया है। यह शरीर को ठंडा प्रदान करते हैं।
प्रभु श्रीराम की गर्मी से बदल गई पोशाक और श्रृंगार , भोज में हुआ बदलाव , नया रूप देख श्रद्धालु हो रहें भाव – विभोर
- रिपोर्ट : मुकेश कुमार : क्राइम एडिटर इन चीफ : अयोध्या , उत्तर प्रदेश ।
प्रभु श्रीराम का गर्मी की वज़ह से श्रृंगार बदल गया है। रेशमी वस्त्र, हल्के चांदी के आभूषण और मौसमी फल भोग अब उन्हें अर्पित किए जा रहे हैं। वैदिक परंपरा का पालन करते हुए प्रभु श्री राम को शीतलता प्रदान करने के यह बदलाव किया गया है।
श्रद्धालु प्रभु श्रीराम का यह नया रूप देखकर भाव-विभोर हो रहे हैं।
आपको बता दें कि रामनवमी पर्व पर मंदिर प्रशासन ने प्रभु श्री राम के श्रृंगार और भोग में कई बदलाव किया था। अब की बार गर्मी की वज़ह से प्रभु श्रीराम को रेशमी वस्त्र धारण कराएं जा रहे हैं।
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यह हल्के, मुलायम और मौसम के अनुरूप है। साथ ही प्रभु श्रीराम को भारी स्वर्ण आभूषणों की जगह अब उन्हें हल्के चांदी और रत्न जड़ित अलंकरण पहनाएं जा रहे हैं। यह बदलाव केवल श्रृंगार तक समिति नहीं, बल्कि प्रभु श्रीराम के मुकुट, कुंडल, कंठहार और अंग वस्त्र सभी ग्रीष्म ऋतु के अनुसार बदले जा रहे हैं।
वैदिक परंपरा के अनुरूप हुआ बदलाव
राम मंदिर के पुजारियों और श्रृंगार समिति के मुताबिक, यह बदलाव विशुद्ध वैदिक परंपरा के अनुरूप है। इसमें प्रभु श्री राम की सेवा और ऋतु के अनुरूप की जाती है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रभु श्रीराम राम को पूर्ण शीतलता मिलें।
इसके लिए विशेष खादी और रेशम के वस्त्रों का चयन किया गया है। यह शरीर को ठंडक प्रदान करते हैं। फूलों की मालाओं में अब गुलाब, बेला और चंपा जैसे शीतल प्रभाव वाले फूलों का उपयोग हो रहा है।
प्रभु श्रीराम के भोग में बदलाव
गर्मी को देखते हुए प्रभु श्रीराम के भोग में भी बदलाव हुआ है। ठंडक देने वाले मौसमी फलों, खीर, रबड़ी, मिश्री – पानी और गुलकंद आदि को शामिल किया जा रहा हैं।
ताकि प्रभु श्री राम की सेवा हर प्रकार से शुद्ध और सौम्य हों। प्रभु श्रीराम का यह ग्रीष्म श्रृंगार श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र बन गया है। इस नवीन रूप में प्रभु श्री राम को देखकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो रहे हैं।
श्रद्धालु हो रहे हैं भाव -विभोर
श्रद्धालुओं को हर सुबह जब रेश्मि पीले वस्त्रों में सजे प्रभु श्री राम के दर्शन होते हैं, तो लगता है जैसे प्रभु स्वयं धरा पर स्वयं अवतरित हो गए हो। इस श्रृंगार से सिर्फ प्रभु श्री राम की सेवा नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं की भावनाओं का भी सम्मान किया जा रहा है। यह पहल न केवल भक्ति की परंपरा को मजबूत करती है, बल्कि यह भी बताती है कि प्रभु श्रीराम सिर्फ मंदिर में नही , हर ऋतु और हर भाव में जीवित हैं।
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