शहीद दिवस पर विशेष: कब मिलेगा भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को आधिकारिक शहीद का दर्जा?
सरकारी दस्तावेजों में क्यों नहीं हैं हमारे वीर क्रांतिकारी "शहीद"?
रिपोर्ट : आयुष पांडेय
शहीद दिवस 23 मार्च पर विशेष : भारत के वीर शहीदों की याद में हर साल 23 मार्च को भारत में शहीद दिवस मनाया जाता है। यह दिन भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत को याद करने के लिए समर्पित है। आज से 94 साल पहले, 23 मार्च 1931 को इन तीनों वीर सपूतों को ब्रिटिश सरकार ने फांसी पर लटका दिया था। उन्होंने भारत की आज़ादी के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए, लेकिन आज भी सरकारी रिकॉर्ड में इन्हें “शहीद” का दर्जा नहीं मिला।
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यह विडंबना ही है कि देश की जनता इन्हें शहीद मानती है, लेकिन सरकार के दस्तावेजों में वे अब तक शहीद नहीं माने गए। सवाल उठता है कि देश की आजादी के 77 साल बाद भी सरकारें इन्हें शहीद का दर्जा देने से क्यों बचती रही हैं?
सरकारी रिकॉर्ड में अब तक “शहीद” क्यों नहीं?
इतिहास के पन्नों में दबा सवाल : 1947 में भारत को आजादी मिले 75 साल से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अब तक शहीद का आधिकारिक दर्जा नहीं मिला।
लोकसभा और राज्यसभा में कई बार सांसदों द्वारा यह मुद्दा उठाया गया कि सरकार इन्हें शहीद का दर्जा कब देगी, लेकिन सरकार की टालमटोल की नीति ने इस सवाल को हमेशा दबा दिया।
2013 में भगत सिंह के परिवार द्वारा गृह मंत्रालय में RTI दायर की गई, जिसमें पूछा गया कि क्या भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को शहीद का दर्जा दिया गया है? जवाब में मंत्रालय ने कहा कि उनके पास ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है। यह जवाब चौंकाने वाला था और यह दर्शाता है कि सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया।

लेखक : 21 बार रक्तदान कर चुके युद्धवीर सिंह लांबा, वीरों की देवभूमि धारौली, झज्जर-कोसली रोड, हरियाणा के निवासी एक समाजसेवी हैं। मो. : 9466676211
परिवारों का संघर्ष: सड़कों पर उतरने को मजबूर
अपनों के लिए लड़ाई लड़ रहे वंशज शहीद भगत सिंह के भाई कुलतार सिंह के बेटे किरणजीत सिंह संधू और सुखदेव के पोते अनुज थापर ने भी सरकार से मांग की है कि इन महान क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा दिया जाए।
सितंबर 2016 में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के वंशजों ने जलियांवाला बाग से इंडिया गेट तक “शहीद सम्मान जागृति यात्रा” निकाली। बावजूद इसके, सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
राजगुरु के परिवार से विलास राजगुरु कहते हैं कि सरकारें इन वीरों की कुर्बानी को भुला रही हैं, जो शर्मनाक है।
अब किसका इंतजार कर रही सरकार? क्या सरकार शहीदों से डरती है?
आजादी के बाद से जितनी भी सरकारें आईं, उन्होंने भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को शहीद का दर्जा देने से दूरी बनाए रखी। आखिर सरकारें इससे बचती क्यों हैं? क्या उन्हें लगता है कि अगर भगत सिंह को शहीद का दर्जा मिला, तो आज के युवाओं में भी उसी तरह का क्रांतिकारी जोश आ जाएगा?
प्रधानमंत्री मोदी से अपील: कब मिलेगा इंसाफ?
आज देशभर में लोग सवाल कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कब इन क्रांतिकारियों को आधिकारिक रूप से शहीद का दर्जा देंगे? यह सिर्फ सम्मान की बात नहीं है, बल्कि देश के गौरव और उन वीरों की आत्मा की शांति का सवाल भी है।
सरकार को चाहिए कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को आधिकारिक रूप से “शहीद” घोषित करके उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे। यह न केवल उनके बलिदान को मान्यता देगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करेगा।
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