रिपोर्ट: अमित कुमार : भागलपुर | बिहार सरकार शिक्षा को लेकर भले ही करोड़ों रुपये खर्च कर रही हो, लेकिन ज़मीनी हकीकत आज भी बेहद चिंताजनक है। भागलपुर जिले के सुलतानगंज प्रखंड स्थित नाशोपुर प्राथमिक विद्यालय से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां पढ़ाई के समय में बच्चों से मजदूरी जैसा काम करवाया जा रहा है। वायरल हुए एक वीडियो ने न सिर्फ शिक्षा विभाग की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि स्कूल प्रशासन की नीयत को भी कटघरे में ला खड़ा किया है।
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मामला भागलपुर के सुलतानगंज प्रखंड अंतर्गत नाशोपुर प्राथमिक विद्यालय का है। वायरल हुए वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि विद्यालय के प्रधानाध्यापक राजेश कुमार खुद की निगरानी में छोटे-छोटे स्कूली बच्चों से बालू छनवाने का काम करवा रहे हैं। यह काम स्कूल के पढ़ाई के समय हो रहा था, जब बच्चों को किताबों के साथ होना चाहिए था।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, स्कूल में मेनटेनेंस का कार्य चल रहा था और उसी दौरान प्रधानाध्यापक ने तीन स्कूली बच्चों को मजदूरी के तौर पर बालू छनवाने में लगा दिया। यह वीडियो सामने आते ही इलाके में आक्रोश फैल गया है। शिक्षा के मंदिर में बच्चों से इस तरह शारीरिक श्रम कराना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि यह नैतिक रूप से भी पूरी तरह गलत है।
सरकार द्वारा बच्चों की शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए ‘सर्व शिक्षा अभियान’, ‘मिड डे मील’, ‘स्कूल चलें हम’ जैसी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन जब शिक्षक ही इन योजनाओं को पलीता लगाने लगें तो सवाल उठना लाज़मी है।
शिक्षा विभाग का संज्ञान और कार्रवाई का आश्वासन

मामले की जानकारी मिलते ही भागलपुर के जिला शिक्षा पदाधिकारी राजकुमार शर्मा ने तत्काल संज्ञान लेते हुए कहा है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित प्रधानाध्यापक से स्पष्टीकरण मांगा गया है। उन्होंने कहा, “बच्चों से स्कूल में कोई भी शारीरिक श्रम करवाना पूर्ण रूप से गलत है। यदि वीडियो सही पाया गया तो संबंधित शिक्षक पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
गौरतलब हो कि शिक्षा का अधिकार हर बच्चे का मौलिक अधिकार है और इस तरह की घटनाएं न केवल बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हैं, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र को बदनाम करने वाली हैं। शिक्षा विभाग को इस पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं।
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